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Monday, February 13, 2017

Meanining of Mahamrityunjay Mantra in Hindi

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् II



हे महा शिव! इस घनघोर अँधेरे में मैं तेरा आवाह्न करता हूँ।
मृत्यु से भरे संसार में जीवन पुष्प खिलाने वाले!
मेरी रग रग में जीवन शक्ति बन कर दौड़ने वाले!
तू नेत्र खोलता है तो मैं देखता हूँ।
तू चलाता है तो मैं चलता हूँ।
तू संसार में भेजता है तो जीवन पुष्प समान खिलता हूँ।
तू संसार से बुला लेता है तो तेरी गोद में चढ़ कर खेलता हूँ।
तू ही है विस्फोट से सृजन करने वाला।
तू ही है सृजन से धारण करने वाला।
तू ही तो है धारण से संहार करने वाला।
तू ही है संहार से विस्फोट करने वाला।
मेरी दृष्टि में प्रकाश करने वाला।
उस प्रकाश से सृष्टि को चमकाने वाला।
सब देव, सब राक्षस, सब नर, सब नारी, सब जीव, सब जंतु तुझ में ही समा जाते हैं।
आज के राक्षस कल ढेर हो जाते हैं। कल के ढेर परसों देव हो जाते हैं।
आज का जीवन कल मृत्यु बन जाता है।
आज का विग्रह फिर जीवन हो जाता है।
आज का रोग कल निदान हो जाता है।
आज का बंध कल मोक्ष हो जाता है।
तो हे महाकाल! तीनों जगत के स्वामी! तीनों काल के रचयिता, धाता और संहर्ता! मैं तेरा अमृत पुत्र तेरा आवाह्न करता हूँ! अपनी शक्ति, अपनी दुर्बलता, अपनी श्रेष्ठता, अपनी नीचता, अपनी जीत, अपनी हार, अपने जीवन और अपनी मृत्यु आज से तेरे चरणों में रखता हूँ। ना जीवन का मोह रखता हूँ, ना मृत्यु का भय रखता हूँ। जीवन होगा तो तेरे हाथ में, मरण होगा तो तेरे हाथ में। बंधन होगा तो तेरे हाथ में। मोक्ष होगा तो तेरी गोद में। लोग तुझमें मोक्ष ढूंढते हैं, मैं बंधन भी तेरे नाम करता हूँ।